Sunday 20 December 2015

वह सखि !

वह सखि ! शशधर सुखद सुठार। 
यह सखि ! शुभ्र ज्योत्स्ना-सार॥
वह सखि ! सूर्य ज्योति-दातार। 

यह सखि ! द्युतिमा सूर्याधार॥
वह सखि ! अग्रि देवता ताप। 

यह सखि ! शक्ति दाहिका आप॥
वह सखि ! सागर अति गभीर। 

यह सखि ! जलनिधि जीवन नीर॥
वह सखि ! सुन्दर देह सुठाम।

यह सखि ! चेतन प्राण ललाम॥
वह सखि ! भूषण सुषमा-सार। 

यह सखि ! स्वर्ण भूषणाधार॥
वह सखि ! अतुल-शक्ति बलवान। 

यह सखि ! शक्तिमूल, बल-खान॥
वह सखि ! सदा सुवर्धन रूप। 

यह सखि ! रूपाधार अनूप॥
वह सखि ! अलख निरजन तव। 

यह सखि ! तवाधार महव॥
वह सखि ! मुनि-मोहन सुखधाम। 

यह सखि ! स्वयं मोहिनी श्याम॥
वह सखि ! कला-कुशल रमनीय। 

यह सखि ! स्वयं कला कमनीय॥
वह सखि ! अग-जग-सुख-‌आगार।

 यह सखि ! तत्सुखकी भण्डार॥

पदरत्नाकर

नारायण । नारायण ।

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