Wednesday 1 March 2017

साँवरा मेरा मनमोहना...

साँवरा मेरा मनमोहना...
मन मोरा देख इसे झूमे बन बांवरा...
साँवरा मेरा मनमोहना...

उसकी सांवली सुरत पे हुआ दिल फिदा...
काली कमली वाले ने ऐसा जादु किया...
जो भी देखे...वो ही बोले...
जो भी देखे...वो ही बोले...साँवरा है नशा...
साँवरा मेरा मनमोहना...
मन मोरा देख इसे झूमे बन बांवरा...
साँवरा मेरा मनमोहना...

आनंद मंगल करे है मेरा साँवरा...
अपने भक्तों की मुश्किल में ये रेहता खड़ा...
दिखता चाहे...ना हो हमको...
दिखता चाहे...ना ही हमको...
रेहता साथ सदा...
साँवरा मेरा मनमोहना...
मन मोरा देख इसे झूमे बन बांवरा...
साँवरा मेरा मनमोहना...

कण~कण में है बसता कौन बोलो भला...
किसके इशारों पे चलता है ये सारा जहाँ...
ऐसा " अनोखा "...कौन कहो ना...
ऐसा " अनोखा "...कौन कहो ना...
वो तो है साँवरा...
साँवरा मेरा मनमोहना...
मन मोरा देख इसे झूमे बन बांवरा...
साँवरा मेरा मनमोहना...

साँवरा मेरा मनमोहना...
मन मोरा देख इसे झूमे बन बांवरा...
साँवरा मेरा मनमोहना...

( तर्ज : रात का शमाँ.....)

No comments:

Post a Comment