Saturday 7 January 2017

श्रीजी ख़्वाबों ने हम पर इतराना छोड़ दिया,

श्रीजी ख़्वाबों ने हम पर इतराना छोड़ दिया,
दीवारों से सर टकराना छोड़ दिया।

एक हसरत रोती है दिल के अंदर
किशोरी जी जब से तुम ने बरसाना बुलाना छोड़ दिया।।

इतने ग़म, इतने आंसू, इतनी आहें
सबने इस दिल को बहलाना छोड़ दिया।

एक हसरत रोती है दिल के अंदर
किशोरी जी जब से तुम ने बरसाना बुलाना छोड़ दिया।।

सूख गए हैं पलकों पर कितने सागर,
आँखों ने मोती गिरानाछोड़ दिया।

एक हसरत रोती है दिल के अंदर
किशोरी जी जब से तुम ने बरसाना बुलाना छोड़ दिया।।

सहमी सहमी रहती है ये तनहाई
यादों को इसने उकसाना छोड़ दिया।

एक हसरत रोती है दिल के अंदर
किशोरी जी जब से तुम ने बरसाना बुलाना छोड़ दिया।।

केसर की क्यारी में रोती है जन्नत
फूलों, कलियों ने मुस्काना छोड़ दिया।

एक हसरत रोती है दिल के अंदर
किशोरी जी जब से तुम ने बरसाना बुलाना छोड़ दिया।।

श्री किशोरी जी श्री राधा अलबेली सरकार!
मुझे श्री धाम बरसाना बुलाओ बार-बार !!

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