राग काफी—ताल
दीपचंदी
केवल तुम्हें
पुकारूँ प्रियतम! देखूँ एक तुम्हारी ओर।
अर्पण कर निजको
चरणोंमें बैठूँ हो निश्चिन्त, विभोर॥
प्रभो! एक बस, तुम ही मेरे हो सर्वस्व सर्वसुखसार।
प्राणोंके तुम
प्राण, आत्माके आत्मा आधेयाऽधार॥
भला-बुरा, सुख-दु:ख, शुभाशुभ मैं, न जानता कुछ भी
नाथ! ।
जानो तुम्हीं, करो तुम सब ही, रहो निरन्तर मेरे साथ॥
भूलूँ नहीं कभी
तुमको मैं, स्मृति ही हो बस, जीवनसार।
आयें नहीं
चित्त-मन-मतिमें कभी दूसरे भाव-विचार॥
एकमात्र तुम बसे
रहो नित सारे हृदय-देशको छेक।
एक प्रार्थना
इह-परमें तुम बने रहो नित सङ्गी एक॥
-नित्यलीलालीन
भाईजी श्रीहनुमान प्रसादजी पोद्दार
राधे-श्याम्
राधे-श्याम् ।राधा-माधव राधे-श्याम् ॥
ईश-रमेश
राधे-श्याम् ।केशव सुन्दर मेघ-श्याम् ॥
वसुदेव-सुत
राधे-श्याम् ।शेष-सुशयन मेघ-श्याम् ॥
पाण्डव-प्राण
राधे-श्याम् ।खाण्डव-दहन मेघ-श्याम् ॥
पाण्डव-रक्षक
राधे-श्याम् ।कौरव-शिक्षक मेघ-श्याम् ॥
निगमागोचर
राधे-श्याम् ।अगणित-महिमा-मेघ-श्याम् ॥
मुरळी-मनोहर राधे-श्याम्
।पवन-पुरेश मेघ-श्याम् ॥
No comments:
Post a Comment