हर-हृदयाब्धि-समुद्भव, रामनाम सदरत्न ।
भक्ति-भाग्यप्रद भासुर, ज्ञान-ज्योति चिदरत्न ॥
अब नहिं भूलूँ नामको, नाम सहारा मोहिं ।
आप कृपा करि कीजिये, नाम सुहावें मोहिं ॥
पावन हरिको नाम है, रसना है अनुकूल।
जप-ज़प प्यारे मधुमय, नाम हरत त्रैशूल ॥
रसमय हैं हरिनाम अति, सुलभ सरल निज़तन्त्र ।
पातक हरत समस्त अरु, जीवन होत स्वतन्त्र ॥
रक्षक, शिक्षक-तारक, मारक मोह, विकार ।
रामनाम कलिकालमें, केवल एक अधार ॥
मन बस करना सहज नहिं, मैं दुर्बल मतिमन्द ।
आप सम्भालो रामजी, नाम रटूँ निर्द्वन्द॥
रामनाम जननी-जनक, रामनाम परिवार ।
राम-नाम धन-वैभव, राम-नाम सुखसार ॥
॥ ओम नारायण ॥
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