जगत में साधु-संग प्रथम साधन ।
कहते है भगवान रामनारायण ॥
कुछ न भुवन में, साधु-संग के समान ।
साधु-संग गुण पाते महापापी त्राण ॥
साधु-संग पाये जीव नामरुपी वित्त ।
जपते ही जपते उसका भर जाये चित्त ॥
नाम के नशे में झुले, हँसे नाचे गाये ।
परमानन्द सागर में, डुबे और उतराये ॥
साधु का सहारा नाम सर्व-धन सार ।
नाम के ही बल से करते पापी का उद्धार॥
मरुभूमि में मिले न जल कभी जैसे मानो ।
जगत में भी सुख की आशा वैसे ही जानो॥
सकल असार यदि समझा है मन ।
शीघ्र ही शरण लो साधु के चरण ॥
साघु कृपा हो यदि नहीं और भय ।
गाओ दास सीताराम जय नाम जय ॥
============================== =
- श्रीश्री सीतारामदास ओंकारनाथदेव -
No comments:
Post a Comment